की आत्महत्या के बाद बॉलिवुड में एक बार फिर की बहस ने जोर पकड़ लिया है। एक बड़ा वर्ग यह आरोप लगा रहा है कि सुशांत भी इस नेपोटिजम का शिकार हुए। अब इस मुद्दे पर जाने-माने फिल्ममेकर का एक बयान सामने आया है जो चौंकाने वाला है। हंसल ने कहा है कि वह नेपोटिजम की इस चर्चा के बीच अपने बेटे के भविष्य के लिए चिंतित हैं। हंसल मेहता ने कहा है कि नेपोटिजम की बहस आगे भी बढ़ती जाएगी और उन्होंने इस पोजिशन पर पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है। हंसल ने यह भी कहा है कि उनकी मेहनत के कारण उनके बेटे को काम करने का मौका मिलेगा लेकिन इस मामले में भी नेपोटिजम की बहस आड़े आएगी। वैसे बता दें कि हंसल मेहता ने बिना किसी बॉलिवुड गॉडफादर के फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है। हंसल ने इससे परेशान होकर ट्वीट किया और लिखा, 'यह नेपोटिजम की बहस आगे बढ़ती जाएगी। काबिलियत को सबसे ऊपर रखा जाता है। मेरा बेटे को यहां मेरे कारण मौका मिलेगा। और ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए। वह मेरे बेहतरीन काम का हिस्सा रहा है क्योंकि वह टैलेंटेड है, अनुशासित है, मेहनती है और उसके भीतर वही मूल्य हैं जो मेरे भीतर हैं। केवल इसलिए नहीं कि वह मेरा बेटा है।' हंसल मेहता ने कहा कि यह सोचना गलत है कि मीडिया में हाइलाइट होकर यहां करियर बनाया जा सकता है। उनका कहना है कि अपने टैलेंट से ही यहां आगे बढ़ा जा सकता है और अगर कोई व्यक्ति किसी लायक नहीं है तो मीडिया उसे वैसा ही जवाब देता है। आगे बढ़ने के लिए केवल टैलेंट का ही इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि हंसल के इस ट्वीट पर काफी लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं। कुछ यूजर्स ने कहा कि किसी के टैलेंट की बहस तब शुरू होनी चाहिए जबकि किसी टैलेंटेड आदमी को सही मौका मिले। इसके जवाब में हंसल ने कहा है कि फिल्मी परिवार के लोगों को विशेषाधिकार मिलता है लेकिन वह अपनी मेहनत के बल पर मिलना चाहिए। हालांकि फिर भी बहुत से यूजर हंसल की बात पर सहमत नहीं हो सके हैं। बता दें कि हंसल मेहता ने बॉलिवुड में 'दिल पे मत ले यार', 'शाहिद', 'सिटीलाइट्स', 'अलीगढ़', 'सिमरन' और 'ओमेर्ता' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई हैं जिन्हें केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में सराहा गया है।
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