भोजपुरी फिल्मों के दिग्गज अभिनेता खेसारीलाल यादव किसी भी फिल्म में काम करने के ज्यादा फीस लेने को लेकर खूब खबरों में रहते हैं। हाल ही में जब भोजपुरी फिल्मों के ऐक्टर - डायरेक्टर और संगीत निर्देशक रजनीश मिश्रा ने भरी मीडिया के सामने खेसारी से मजाकिया लहजे में ज्यादा फीस लेने की शिकायत की तो वह थोड़े बिदक जरूर गए, लेकिन इसी दौरान नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से हुई खास बातचीत में बड़ी ही इमानदारी से खेसारी ने ज्यादा फीस लेने की बात को स्वीकार करते हुए इसकी वजह भी बताई। ज्यादा फीस लेकर जनता की सेवा करता हूं, इसमें गलत क्या है? खेसारी कहते हैं, 'मैं यह मानता हूं कि फिल्म में काम करने की मैं ज्यादा फीस लेता हूं, लेकिन यह फीस ज्यादा इसलिए होती है क्योंकि मैं डबल शिफ्ट में काम करता हूं, मान लीजिये एक शिफ्ट में काम करने के 3000 मिलते हैं और अगर मैं वही काम लगातार करते हुए 2 शिफ्ट करता हूं तो 6000 पाने का अधिकार रखता हूं कि नहीं। मैं अगर किसी प्रड्यूसर से एक फिल्म में काम करने के 50 लाख चार्ज करता हूं तो 20 लाख रुपए जरूरतमंद लोगों को दान करता हूं और 30 लाख रुपए अपने पास रखता हूं। अब इसमें क्या गलत करता हूं आप जनता लोग ही बताइए?' कुछ लोग आपकी जरूर आलोचना करेंगे कई मामलों में अपनी आलोचना होने की बात पर खेसारी कहते हैं, 'इस दुनिया में अगर आप आए हैं तो आलोचना तो होगी ही। रास्ते में चलेंगे तो डिवाइडर और टोल नाकें तो आएंगे ही, डिवाइडर में अपनी रफ्तार धीमी करना पड़ता है और टोल नाके में पैसा चुकाना पड़ेगा ही। देखिए कुछ लोग आपको प्यार करेंगे, आपके बारे में अच्छा कहेंगे, लेकिन कुछ लोग आपकी आलोचना भी करेंगे, यही जीवन की सच्चाई है।' मेरी निंदा हो रही है, इसका मतलब मैं अभी जिंदा हूं 'यह पॉलिटिक्स तो हर जगह है, इसके लिए अपने विचार तो नहीं बदले जा सकते न। जिसको लोग प्रचार समझते हैं, वही तो मेरे विचार हैं, मेरी निंदा हो रही है, इसका मतलब है कि मैं जिंदा हूं। जिंदा नहीं रहूंगा तो निंदा भी नहीं होगी। हमें हमेशा यह कोशिश करना चाहिए कि कैसे हम लोगों की भलाई से जुड़ा काम करें, किसी जरूरतमंद बच्चे की पढ़ाई जिम्मा उठाएं और उसका जीवन खुशहाल बनाएं।' मुख्यमंत्री कोष का पैसा गरीबों तक नहीं पहुंचता 'महाराष्ट्र में बाढ़ पीड़तों की मदद मैं जरूर करूंगा, लोगों की मदद के लिए मैं अभी 20-25 लाख खर्च करूंगा। मैं आपसे वादा करता हूं कि महाराष्ट्र के बाढ़ पीड़ितों की मदद मैं जरूर करूंगा। रही बात में पैसा जमा करने की बात तो मैं उस कोष में कोई दान कर ही नहीं सकता क्योंकि मैं जानता हूं, वह पैसा गरीबों तक कभी नहीं पहुंचेगा।' बिहार के कितने मंत्रियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं? सवाल पूछते हुए खेसारी कहते हैं, 'आप बताइए बिहार के कितने मंत्री के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, कोई भी नहीं पढ़ता। सब अपने बच्चों को विदेश भेजते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के बच्चे महाराष्ट्र में पढ़ते हैं क्योंकि महाराष्ट्र में शिक्षा में फोकस किया है। बिहार में हमेशा हमें गंवार बनाकर रखा गया है। अब इसमें किसको दोषी बनाएं, इसलिए खुद को बदलना चाहिए और मैंने खुद को बदला है। इसलिए जब भी कोई मदद मैं करता हूं डायरेक्ट करता हूं, उनके बीच जाता हूं, उनकी तकलीफों को समझता हूं और तब पैसा खर्च करता हूं। मैं यह मदद का पैसा किसी को दे दूं तो पता नहीं यह पैसा जरूरतमंद तक पहुंचे या न पहुंचे? मेरे लिए दान या मदद का प्रचार जरूरी है गुप्तदान जैसी बातों पर विश्वास न रखने वाले खेसारी जरूरतमंदों की मदद करने के बाद प्रचार करना जरूरी समझते हैं, मदद के बाद इस प्रचार के पीछे की वजह बताते हुए खेसारी ने कहा, 'मैं जो भी मदद करता हूं उसका प्रचार इसलिए करता हूं क्योंकि मुझे लगता है जो लोग मुझसे प्रभावित होते हैं, वह मेरे इस काम से भी प्रभावित हों और लोगों की मदद करें। मैं अगर गुप्तदान कर दूंगा तो, मुझे मानने वाले लोग भी कोई मदद नहीं करेंगे। मुझसे प्रभावित होकर भले 10 लोग मदद के लिए सामने आएं, कुछ तो बदलाव होगा समाज में।'
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