केवल सुशांत नहीं, कई सिलेब्स ने झेला डिप्रेशन - BOLLYWOOD BOSS TV

BOLLYWOOD BOSS TV

Bollywood and Fashion Portal

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Wednesday 24 June 2020

केवल सुशांत नहीं, कई सिलेब्स ने झेला डिप्रेशन

वक्त की एक खूबी है कि वह कभी एक सा नहीं रहता। फिर, बॉलिवुड के लिए तो मशहूर है कि यहां कब आपकी किस्मत चमक जाए या कब कोई अर्श से फर्श पर आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में, हमने बात की, इंडस्ट्री के कुछ ऐसे कलाकारों से, जिन्होंने नाकामयाबी के लंबे दौर के बाद भी हौसला नहीं खोया और अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे और जाना उनके इस हिम्मत का राज। दोस्तों के सपोर्ट से डिप्रेशन से निकली ऐक्ट्रेस नुशरत भरूचा के पास आज अच्छे-खासे फिल्म प्रॉजेक्ट्स की भरमार है, लेकिन इसके लिए उन्हें 12 साल लंबा संघर्ष करना पड़ा। साल 2006 में करियर शुरू करने वाली नुशरत को 2009 में आई 'प्यार का पंचनामा' से भले एक पहचान मिली, लेकिन किस्मत बदली 2018 में आई 'सोनू की टीटू की स्वीटी' से। अपने लंबे संघर्ष पर नुशरत कहती हैं, 'जब तक सक्सेस नहीं मिलती, हर रोज स्ट्रगल होता है। लोगों को आपमें बहुत सारी कमियां दिखती हैं। आप काम के लिए ऑडिशन देते हैं। प्रॉजेक्ट की आस लगाए रहते हैं। कई बार बात बन रही होती है, फिर कोई और आपकी जगह आ जाता है, लेकिन मैंने हमेशा यही माना कि यहां आपके हाथ में कुछ नहीं है। आपको बस अपना काम करते रहना है।' हालांकि, एक वक्त ऐसा भी आया, जब नुशरत डिप्रेशन तक का शिकार हो गई थीं। वह बताती हैं, 'फिल्म 'आकाश वाणी' में मेरा रोल बहुत स्ट्रॉन्ग था, तो मुझे लग रहा था कि मेरी किस्मत चमक जाएगी, पर जब वह नहीं चली, तो बहुत सदमा लगा। मैं एक साल तक बहुत डिप्रेस थी, पर तब मेरी क्लोज स्कूल फ्रेंड्स सृष्टि, संजना, अवनि, आशनी ने बहुत साथ दिया। तब मेरे पास कोई काम नहीं होता था, तो वे मुझे छुट्टियों पर घूमाने ले गईं। इन दोस्तों के चलते मेरा वह वक्त कट गया।' टूटी-निराश हुई, पर भरोसा नहीं छोड़ा फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' से सक्सेस पाने वाली ऐक्ट्रेस अहाना कुमरा ने भी लंबा संघर्ष देखा है। अपने पहले टीवी शो 'युद्ध' और फिल्म 'सोना स्पा' में उन्हें नाकामयाबी झेलनी पड़ी। फिर भी, आगे बढ़ते रहने के अपने जज्बे के बारे में अहाना कहती हैं, 'जब आप फिल्म फैमिली से नहीं होते हैं, तो आपके पास चॉइस नहीं होती है। आपको जो काम मिलता है, वह आप करते हैं। मैंने पहले कास्टिंग और असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया, क्योंकि मुझे रोल नहीं मिले। मेरे मां-बाप प्रड्यूसर नहीं है। मैं किसी स्टार की बेटी नहीं हूं, तो मुझे वह ट्रीटमेंट नहीं मिलेगी, यह मैं जानती थी। इसलिए मेरा फंडा था कि जो काम मिले, उसे निडर होकर करो। काम से ही तुम्हें काम मिलेगा। रोज तुम्हें कोई बोलेगा कि तुम मोटी हो, पतली हो, बुरी दिखती हो। वह सब नजरअंदाज करके, जो तुम्हें सही लगता है, वह करो। इसलिए, मुझे जो काम मिला, मैंने कभी मना नहीं किया।' अहाना मानती हैं कि यह स्ट्रगल आसान नहीं होता। बकौल अहाना, 'लोग टूट जाते हैं, क्योंकि बहुत से लोग आपको तोड़ देते हैं। आपको इतनी सारी चीजें कहते हैं। रोज लगता है कि सब छोड़ दे क्या? कुछ और ही कर लें। कई बार आपको काम देकर छीन लिया जाता है, क्योंकि हमारी कोई सिफारिश नहीं करता। ऐसे में, परिवार और दोस्तों का साथ और खुद पर भरोसा रखना जरूरी है।' लोग बोले, ई निवास खत्म हो गया, पर मैंने नहीं माना साल 1999 में अपनी पहली ही फिल्म 'शूल' के लिए नैशनल अवॉर्ड पाने वाले निर्देशक ई निवास को लगा कि उनका करियर सेट हो गया, लेकिन उसके बाद उनकी फिल्में फ्लॉप होती गईं। 2014 की 'टोटल सियापा' के बाद तो लोगो ने घोषित ही कर दिया कि ई निवास का करियर खत्म हो गया, पर सबको गलत साबित करते हुए हाल ही में उन्होंने वेब सीरीज 'योर ऑनर' से डिजिटल डेब्यू किया। अपने इस कमबैक के बारे में ई निवास कहते हैं, 'मैंने जब अपनी पहली फिल्म 'शूल' बनाई थी, तब मैं सिर्फ 22 साल का था। तब भले ही मैं फिल्ममेकिंग की टेक्निकल चीजें समझता था, लेकिन शायद दुनिया और लोगों की समझ नहीं थी। इसलिए, 'टोटल सियापा' के बाद मैंने ब्रेक लिया और पहले का सीखा सबकुछ भूलने की कोशिश की। हालांकि, जब फिल्में फ्लॉप हो रही थीं, तो मैं बहुत हताश था, पर मैंने जब ब्रेक लिया, तो मैं घर पर खाली नहीं बैठा। मैंने काफी सारे ऐड बनाए। मैं बिजी रहा। लोगों ने बोला आप दिख नहीं रहे हैं, फिल्में आ नहीं रही हैं, अब ई निवास खत्म हो गया है, मैं ये सब सुनता था, लेकिन मैं जानता था कि मैं खुद को बेहतर कर रहा हूं। मुझे बस एक मौका चाहिए। मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं कमबैक कर सकता हूं और वापस अपनी जगह बना सकता हूं।' काम जिंदगी का हिस्सा है, जिंदगी नहींसाल 2018 में फिल्म 'लैला मजनू' में अपना पहला लीड रोल पाने से पहले ऐक्टर अविनाश तिवारी को एक दशक लंबा संघर्ष करना पड़ा, जो इस फिल्म के फ्लॉप के कारण अभी भी जारी है। ऐसे में, अपने मनोबल का राज पूछने पर नेटफ्लिक्स फिल्म 'बुलबुल' लेकर आए अविनाश कहते हैं, 'हर इंडस्ट्री में स्ट्रगल हैं। जब मैंने इसे चुना था, तो मुझे पता था कि ये राह आसान नहीं होगी, लेकिन मैंने अपने आप से कहा था कि मुझे अगर मौका नहीं भी मिलेगा, तो मैं सड़क पर चिल्ला-चिल्लाकर लोगों को बुलाऊंगा कि आओ, मेरा काम देखो। ये मेरा फैसला था। मुझे ये काम पसंद था। इंडस्ट्री के बारे में मैं ज्यादा नहीं सोचता था और अब भी मैं उसी सोच से आगे बढ़ रहा हूं कि आपको किसी चीज से सही में प्यार है, तो फोकस बनाए रखें। हालांकि, मैं यह भी मानता हूं कि आप हीरे हैं, पर चमकेंगे तभी जब आप पर रोशनी पड़ेगी, जो हमारे हाथ में नहीं है। आप लोग सही चीज फोकस कर दें, तो लाइट अच्छे से पड़ जाएगी। बाकी, काम जिंदगी का एक हिस्सा है, जिंदगी नहीं है। ये ऊपर-नीचे चलता रहता है। कुछ चीजें आपकी किस्मत में होती हैं। मेरा इसे डील करने का यही तरीका है।' 12 फिल्मों से निकाली गईं विद्या, पर हार नहीं मानी ऐक्ट्रेस विद्या बालन आज इंडस्ट्री की टॉप स्टार हैं, लेकिन 20 साल पहले जब विद्या ने मलयालम फिल्मों से अपना करियर शुरू करने की कोशिश की तो नॉन फिल्मी बैकग्राउंड की इस नॉट सो सेक्सी लड़की के राह में बहुत रोड़े आए। उन्हें पहली फिल्म सुपरस्टार मोहनलाल के साथ मिली, जिसके बाद 12 और मलयाली फिल्में मिल गईं। लेकिन बदकिस्मती से मोहनलाल के साथ वाली फिल्म 'चक्रम' ठंडे बस्ते में चली गई, तो उन्हें बदशकुनी करार देकर बारह की बारह फिल्मों से निकाल दिया गया। वे तमिल फिल्मों की ओर गईं, वहां भी उन्हें कभी रिप्लेस कर दिया गया, तो कभी फिल्म ही नहीं बनी। फिल्म 'परिणीता' के लिए भी उन्हें छह महीने तक ऑडिशन देने पड़े थे उन्हें, लेकिन इतने सारे रिजेक्शन झेलने के बावजूद विद्या कभी टूटी नहीं। वह बताती हैं, 'तब मैं बहुत रोती थी। लगता था कि सिर्फ मेरे साथ ही बुरा हो रहा है। सोचती थी कि सिर्फ फिल्मी बच्चों को ही काम मिलता है। लेकिन ऐसा मौका कभी नहीं आया, जब मुझे ये लगा हो कि मैं अब नहीं कर सकती।'


from Entertainment News in Hindi, Latest Bollywood Movies News, मनोरंजन न्यूज़, बॉलीवुड मूवी न्यूज़ | Navbharat Times https://ift.tt/2Z5nEzz
via IFTTT

No comments:

Post Bottom Ad

Pages