सिनेमा मालिक चार महीने से बंद सिनेमाघरों को जल्द से जल्द खोलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सिनेमा खोलने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि अब दर्शकों से वैसा रिस्पॉन्स नहीं मिलने से फिल्में ब्लॉकबस्टर नहीं हो पाएंगी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि फिल्में पहले से भी ज्यादा कमाई करेंगी। पेश है एक रिपोर्ट: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए हुआ लॉकडाउन अब काफी हद तक खुल चुका है और तमाम इंडस्ट्रीज ने रफ्तार पकड़ ली है। लेकिन बात अगर सिनेमाघरों की करें, तो बीते चार महीनों से ज्यादा सिनेमाघरों को अभी भी अपने लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार है। हालांकि सरकार की ओर से अनलॉक फेज 3 में सिनेमाघरों के खुलने की बात की गई है। ऐसे में, तमाम सिनेमावालों का मानना है कि अगस्त में सरकार को सिनेमाघरों को खोल दिया जाना चाहिए। इससे पहले दुनिया के कईं देशों में भी सिनेमा खुल चुके हैं और उन्हें वहां दर्शकों की ओर से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। इसी बीच सिनेमावालों ने भी अपने यहां दर्शकों की सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए हैं। पीवीआर पिक्चर्स के सीईओ कमल ज्ञानचंदानी ने पिछले दिनों सिनेमा जगत के प्रतिनिधियों की एक ऑनलाइन मीटिंग में मांग की थी कि जब सरकार एयरलाइंस को इजाजत दे दी है, तो सिनेमाघरों को भी परमीशन मिल जानी चाहिए। वहीं दूसरी ओर तमाम लोगों का यह भी कहना है कि सिर्फ सिनेमा खुलने से कुछ नहीं होने वाला है, क्योंकि कोरोना के डर से दर्शक सिनेमाघरों का रुख नहीं करेंगे। यही नहीं, अगर बड़े निर्माता अपनी फिल्मों को सिनेमाघरों में रिलीज करने का जोखिम भी लेंगे, तो भी दर्शकों की कमी के चलते फिल्मों के ब्लॉकबस्टर होने की संभावना कम है। जाने-माने फिल्म डायरेक्टर शेखर कपूर कहते हैं, 'थिएटर्स करीब एक साल तक नहीं खुलने वाले हैं। इसलिए पहले हफ्ते में फिल्मों के कलैक्शन और 100 करोड़ क्लब को लेकर होने वाला शोर बंद हो गया है। सिनेमा स्टार सिस्टम भी थम गया है। अब स्टार्स को अपनी फिल्मों को मौजूदा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज करना होगा या फिर अपनी ऐप्स पर। टेक्नॉलजी काफी आसान है।' सिनेमा को मिस कर रहे लोग शेखर यह भी कहते हैं कि निर्माताओं को यह सोचकर नहीं डरना चाहिए कि उनकी फिल्में बड़ी स्क्रीन पर रिलीज नहीं हो पा रही हैं, क्योंकि तमाम फिल्में छोटे पर्दे पर ज्यादा पसंद की गई हैं, फिर चाहे टेलिविजन हो, विडियो हो या फिर फोन। मिस्टर इंडिया फिल्म के 99 फीसदी चाहने वालों ने फिल्म को बड़ी स्क्रीन पर नहीं देखा, लेकिन फिर भी वे इसे छोटी स्क्रीन पर देखना पसंद करते हैं। आखिरकार कंटेंट मायने रखता है। वहीं ट्रेड एनालिस्ट गिरीश जौहर का कहना है कि ब्लॉकबस्टर फिल्मों की वापसी जरूर होगी। बकौल गिरीश, 'मुझे लगता है कि जब चीजें सामान्य हो जाएंगी और वैक्सीन आ जाएगी या फिर लोगों को सिनेमाघर जाकर सहज महसूस होगा, तो फिल्में जरूर दोबारा से ब्लॉकबस्टर होंगी। यही नहीं, मुझे तो लगता है कि कोरोना के बाद फिल्में के पहले के मुकाबले भी 20-30 फीसदी ज्यादा कमाएंगी। जाहिर है कि लोग काफी लंबे अरसे से सिनेमाघर जाने को मिस कर रहे हैं। आप ओटीटी पर कोई भी फिल्म रिलीज कर लीजिए, लेकिन वह बड़े पर्दे पर रिलीज का मुकाबला नहीं कर सकती। बेशक, सिनेमाघर में सीटियों के बीच अपने चहेते स्टार को देखने के एक्सीपीरियंस का कोई मुकाबला नहीं है। तमाम फिल्में सीधे तीसरे पर्दे पर जा रही हैं, लेकिन अभी भी बड़े स्टार्स की फिल्में सिनेमाघरों के खुलने का इंतजार कर रही हैं। यही वजह है कि निर्माताओं ने दिवाली पर 'सूर्यवंशी' और क्रिसमस पर '83' की रिलीज की घोषणा की है। वहीं सलमान खान की फिल्म भी त्यौहारी सीजन में सिनेमाघरों पर ही रिलीज होगी।' मुकाबला नहीं है सिनेमा का शेखर के स्टार सिस्टम खत्म होने के जवाब में सिनेमा मालिक और एग्जीबिटर अक्षय राठी कहते हैं, 'इस बात को कहने का कोई मतलब नहीं है कि सिनेमा बंद होने से स्टार सिस्टम खत्म हो गया है या हो जाएगा। सभी जानते हैं कि पिछले चार महीने से सिनेमाघर बंद हैं, तो इसका असर उन पर आना स्वाभाविक है। सिनेमा छोड़िए, मॉल से लेकर जिम तक तमाम चीजें पिछले चार महीनों से बंद हैं और सब नुकसान उठा रहे हैं। इस दौरान कोविड के केस भी कम होने की बजाय बढ़े ही हैं। ऐसे में, इन चीजों को बंद रखना कोई समाधान नहीं है। बजाय इसके सावधानी बरतते हुए सिनेमा खोलने की इजाजत दी जानी चाहिए। अगर हम एक साल तक सिनेमा नहीं खोलने की बात छोड़ दीजिए, अगर अगले दो महीने तक भी सिनेमा बंद रहे, तो बहुत सारे सिनेमा फिर कभी नहीं खुल पाएंगे। इसलिए उन्हें जल्द से जल्द खोला जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि कुछ हफ्तों में सिनेमा दोबारा खुल जाएंगे। साथ ही मुझे पूरा भरोसा है कि जब भी चीजें सामान्य होने पर बड़ी फिल्में रिलीज होंगी, तो हम पहले की तरह ब्लॉकबस्टर फिल्में को बॉक्स ऑफिस पर धमाल करते देख पाएंगे। आखिरकार सिनेमा और स्टार्स के फैंस काफी लंबे अरसे से बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने का इंतजार कर रहे हैं।' बकौल अक्षय, कईं सारे स्टार्स ने ओटीटी पर अपनी फिल्में रिलीज करने का फैसला किया है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि ओटीटी पर स्टार की नहीं बल्कि कंटेंट की वैल्यू है। आप वहां पर देश के सबसे बड़े स्टार का कंटेंट डालें या फिर मनोज वाजपेयी का कंटेंट डालें, वहां पर दोनों बराबर हैं। अभी भी आप देखिए ओटीटी के दो सबसे सफल शोज में स्टार मनोज वाजपेयी और के के मेनन स्टार हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि ओटीटी आपको स्टार नहीं बना सकता। यह सच है कि स्टार सिस्टम सिर्फ सिनेमा पर ही चलता है। यही वजह है कि तमाम स्टार्स और बड़ी फिल्मों के निर्माताओं ने सिनेमा पर ही भरोसा जताते हुए आने वाले दिनों में अपनी फिल्मों को सिनेमा पर ही रिलीज करने का फैसला किया है। खासकर साउथ सिनेमा में जहां लोग स्टार्स के जबर्दस्त फैन हैं, वहां पर किसी बड़े स्टार्स ने अपनी फिल्म को ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला नहीं किया है। उन्हें पता है कि उनका स्टारडम सिनेमाघर और उन पर मिलने वाली ओपनिंग की वजह से है। हिंदी सिनेमा में भी तमाम स्टार्स ने इस चीज को समझा है। ढह गया है स्टार सिस्टम डायरेक्टर शेखर कपूर का कहना है कि थिएटर्स करीब एक साल तक नहीं खुलने वाले हैं। इसलिए पहले हफ्ते में फिल्मों के कलैक्शन और 100 करोड़ क्लब को लेकर होने वाला शोर बंद हो गया है। सिनेमा स्टार सिस्टम भी ढह गया है। अब स्टार्स को अपनी फिल्मों को मौजूदा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज करना होगा या फिर अपनी ऐप्स पर। पहले से ज्यादा होगी कमाई ट्रेड एनालिस्ट गिरीश जौहर ने कहा कि मुझे तो लगता है कि कोरोना के बाद फिल्में के पहले के मुकाबले भी 20-30 फीसदी ज्यादा कमाएंगी। जाहिर है कि लोग काफी लंबे अरसे से सिनेमाघर जाने को मिस कर रहे हैं। आप ओटीटी पर कोई भी फिल्म रिलीज कर लीजिए, लेकिन वह बड़े पर्दे पर रिलीज का मुकाबला नहीं कर सकती। फिर से हिट होंगी फिल्में एग्जीबिटर अक्षय राठी ने बताया कि मुझे पूरा भरोसा है कि जब भी चीजें सामान्य होने पर बड़ी फिल्में रिलीज होंगी, तो हम पहले की तरह ब्लॉकबस्टर फिल्में को बॉक्स ऑफिस पर धमाल करते देख पाएंगे। आखिरकार सिनेमा और स्टार्स के फैंस काफी लंबे अरसे से बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने का इंतजार कर रहे हैं।
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