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Wednesday 10 March 2021

मूवी रिव्यू: डराएगी या गुदगुदाएगी जान्हवी-राजकुमार की 'रूही'?

कहानी: 'रूही' एक छोटे शहर में रहने वाले दो लड़कों और उनकी जिंदगी में आई एक लड़की की कहानी है। भूरा पांडे () और कट्टानी कुरैशी () कुछ अजीब परिस्‍थ‍ितियों में रूही (जान्‍हवी कपूर) के साथ फंस गए हैं। रूही को देखकर पहले पहल यही लगता है कि वह सीधी-सादी सी लड़की है। लेकिन फिर उसकी दूसरी पर्सनैलिटी सामने आती है। भूतिया, चुड़ैल वाला रूप। इस पर्सनैलिटी का नाम है आफ्जा। अब भूरा को रूही से प्‍यार हो जाता है और कट्टानी को आफ्जा से। इन तीनों के बीच रोमांस की अलग तरंगे अंगड़ाई लेती हैं और कहानी यहीं से आगे बढ़ती है। भूरा, आफ्जा से छुटकारा पाना चाहता है, जबकि कट्टानी ऐसा नहीं चाहता। वह चाहता है कि आफ्जा भी रूही के साथ ही रहे, ताकि वह उससे रोमांस कर सके। अब भूरा और कट्टानी दोनों अलग-अलग तरकीब निकालते हैं ताकि वह अपने प्‍यार और रोमांस की राह में कोई अड़चन न आने दें। लेकिन उनकी ये तरकीबें उन्‍हीं पर भारी पड़ती हैं। अजीब-अजीब तरह की समस्‍याएं सामने आती हैं। इन सब के बीच हंसी की फुहारे भी हैं। कई तरह के अजीब कैरेक्‍टर आते हैं और फिल्‍म में आगे क्‍या होता है, यह अंत में पता चलता है। रिव्‍यू: साल 2018 में दिनेश विजान हॉरर-कॉमेडी 'स्‍त्री' लेकर आए थे। फिल्‍म को काफी पसंद किया गया। लेकिन किसी और डायरेक्‍टर-प्रड्यूसर ने इस जॉनर में कोई खास काम नहीं किया। बतौर प्रड्यूसर दिनेश विजान अब 'रूही' लेकर आए हैं। डायरेक्‍शन का जिम्‍मा हार्दिक मेहता के कंधों पर है और वह बहुत हद तक हॉरर को कॉमेडी में ढालने में सफल भी होते हैं। फिल्‍म के तीनों मुख्‍य कलाकारों- राजकुमार राव, जान्‍हवी कपूर और वरुण शर्मा ने अपने-अपने हिस्‍से में अच्‍छा काम किया है। राजकुमार राव पर्दे पर एक बार फिर स्‍मॉल टाउन बॉय वाली छवि लेकर आए हैं। रंगे हुए बाल और अपनी चुटीली हंसी के साथ वह कैरेक्‍टर में जमते हैं। हालांकि, कई मौकों पर वह 'स्‍त्री' फिल्‍म में अपने कैरेक्‍टर से मेल खाते हैं। लेकिन फिर भी वह अपने अंदाज और बॉडी लैंग्‍वेज से यह कोश‍िश करते रहते हैं कि दर्शकों को दोहराव न लगे। वरुण शर्मा की कॉमिक टाइमिंग गजब की है। उनके एक्‍सप्रेशंस देखकर आपकी हंसी छूट जाती है। जबकि रूही हो या आफ्जा, दोनों ही किरदारों में जान्‍हवी ने भी अपना रंग जमाया है। जान्‍हवी जब आफ्जा बनती है तो सबको डराती हैं, वहीं जब वह रूही का रूप लेती हैं तो एक डरने वाली लड़की के अंदाज को भी बखूबी निभाती हैं। 'धड़क' और 'गुंजन सक्‍सेना' में जान्‍हवी को देखकर जो उम्‍मीदें जगी थीं, उन्‍होंने 'रूही' में उसे पूरा करने की पूरी कोश‍िश की है। जान्‍हवी को देखकर यह यकीन हो जाता है कि वह इस रेस में लंबा टिकेंगी। फिल्‍म में वैसे तो हंसने और हंसाने के कई मौके हैं, लेकिन इमसें 'दिलवाले दुल्‍हनियां ले जाएंगे' से लेकर 'टाइटैनिक' तक के आइकॉनिक सीन्‍स को लेकर भी हंसी का पुट जोड़ा गया है। 'रूही' की कहानी मृगदीप सिंह लाम्‍बा और गौतम मेहरा ने लिखी है। उन्‍होंने कई फन वन लाइनर्स दिए हैं, जो आसानी से दर्शकों को हंसाने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसा भी है, जहां यह फिल्‍म चूक जाती है। फिल्‍म में मुख्‍य कहानी के साथ भी कई कहानियां हैं। जो मुख्‍य किरदारों का भूतकाल है। यह हमें बताया भी जाता है, लेकिन पिछली कहानियों का बहुत कम हिस्‍सा ही फिल्‍म में हमारे साथ टिक पाता है। दो घंटे से अध‍िक समय की इस फिल्‍म में एडिटिंग को और चुस्‍त रखा जा सकता है। 'रूही' में तमाम एंटरटेनमेंट के साथ खुद से प्‍यार करने का मेसेज भी है। यह एक हद तक को ठीक है, लेकिन इसी मेसेज के साथ अंत डायरेक्‍टर के लिए सुविधाजनक सा है। कुछ बेतरतीब, जि‍समें पंच की कमी खलती है। फिल्‍म के म्‍यूजिक की बात करें तो 'नदियों पार' और 'पनघट' ये दो गाने मुख्‍य हैं। ये दोनों ही गाने फिल्‍म की शुरुआत और अंत में क्रेडिट्स के साथ दिखाए गए हैं। सचिन-जिगर का संगीत फिल्‍म खत्‍म होने के बाद ही दर्शकों के साथ रहता है। कुल मिलाकर, फिल्‍म हॉरर-कॉमेडी है और इसके साथ न्‍याय भी करती है। फिल्‍म में अच्‍छा खासा एंटरटेनमेंट का डोज है और थ‍िएटर में बैठकर बड़े पर्दे पर दोबारा किसी फिल्‍म का लुत्‍फ उठाने के लिहाज से भी अच्‍छा विकल्‍प है।


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