तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत जयललिता (Jaylalitha) की बायॉपिक 'थलाइवी' का ट्रेलर (Thalaivi Trailer) रिलीज हो गया है। लेकिन जयललिता की असली कहानी (Jaylalitha Untold Story) इस ट्रेलर और फिल्म से कहीं ज्यादा है। उनके नाम जितनी उपलब्धियां हैं उससे कहीं ज्यादा विवाद भी।
कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की फिल्म Thalaivi Trailer रिलीज हो गया है। 'पॉलिटिक्स की क्वीन' कही जाने वाली अम्मा यानी जयललिता की इस बायॉपिक (Jaylalitha Biopic) के ट्रेलर में कंगना का दमदार अंदाज दिखा है। लेकिन 3 मिनट 22 सेकेंड के ट्रेलर ने कई मायनों में निराश किया है। ट्रेलर देखकर यही लगता है कि फिल्म जयललिता के 'हीरोइज्म' पर ज्यादा फोकस करने वाली है। जबकि जयललिता के जिंदगी से जुड़े ऐसे कई विवाद हैं, जिनकी कम से कम ट्रेलर में रत्तीभर भी झलक देखने को नहीं मिली। जयललिता ने कभी शादी नहीं की। महिलाओं के हक के लिए वह सदन से सड़क तक लड़ीं। गरीबों के लिए भरपेट भोजन का भी इंतजाम किया और 'अम्मा' (Amma Jaylalitha) कहलाईं। लेकिन उनकी महंगी साड़ियों के दामन पर ऐसे कई दाग भी हैं, जिन्हें वह कभी धो नहीं पाईं।
हजारों महंगी साड़ियां, अंधविश्वास
जयललिता पर आय से अधिक संपत्ति रखने के गंभीर आरोप लगे। वह जेल भी गईं। उनके घर से कथित तौर पर 10 हजार महंगी साड़ियां, 750 जोड़ी जूतियां, 91 डिजाइनर घड़ियां और 19 महंगी गाड़ियां बरामद की गई थीं। यही नहीं, जयललिता के अंधविश्वास पर भरोसे की कहानियां भी खूब प्रचलित हैं। वह खूब अंगूठियां पहनती थीं। दिन के हिसाब से खास रंग की साड़ी से लेकर अमुख दिन पर अमुख काम को लेकर भी उनका अंधविश्वास था। वह इस बारे में सवाल पूछे जाने पर भड़क भी जाती थीं। यही कारण है कि करण थापर ने एक इंटरव्यू सेशन पर वह इतनी बिफर गईं कि लाइव इंटरव्यू में बीच में भी खत्म कर उठ गईं।
300 से अधिक फिल्मों में काम, 6 बार बनीं सीएम
जयललिता राजनीति में आने से पहले एक सुपरस्टार ऐक्ट्रेस थीं। 300 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने काम किया और साउथ इंडियन फिल्मों की 'ग्लैमर डॉल' बन गईं। लेकिन जयललिता का राजनीतिक कद इससे कहीं ज्यादा बड़ा था। वह 6 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं और 14 साल से अधिक समय तक राज्य पर राज किया। समर्थकों के बीच जयललिता 'अम्मा' यानी मां और 'पुरातची थलाईवी' यानी क्रांतिकारी नेता के नाम से मशहूर थीं। जयललिता ने जिन 300 फिल्मों में काम किया, उनमें से अधिकतर एम.जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ थीं। बाद में एमजीआर के कहने पर ही जयललिता उनकी पार्टी 'ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' में शामिल हो गईं।
15 साल की उम्र में लीड रोल
जयललिता (Jaylalitha Early Life) ने 1982 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 24 फरवरी 1948 को एक 'अय्यर' परिवार में जन्मी सेल्वी जयराम जयललिता का 5 दिसंबर 2016 को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में 68 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। जयललिता का जन्म मैसूर राज्य (अब कर्नाटक का हिस्सा) के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में हुआ था। महज 15 साल उम्र से ही उन्होंने 6 कन्नड़ फिल्मों में लीड रोल कर लिया था। 1964 में रिलीज 'चिन्नाडा गोम्बे' से जयललिता ने डेब्यू किया था। बाद में डायरेक्टर श्रीधर की फिल्म 'वेन्नीरादई' से उन्होंने तमिल फिल्मों में अपना करियर शुरू किया और सुपरस्टार बन गईं। जयललिता ने अपना नाम बदला था और सिनेमा की दुनिया में वह 'संध्या' के नाम से जानी जाती थीं।
पिता की मौत और बेंगलुरु की दुनिया
जयललिता के पिता वकील थे। जब जयललिता (Jaylalitha Personal Life) दो साल की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया। परिवार की माली हालत खराब रहने लगी। जयललिता की माता जी अपने चार बच्चों को मायके बेंगलुरु आ गईं। जयललिता ने बेंगलुरु के ही बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल से पढ़ाई की। फिर प्रेजेंटेशन चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल, चेन्नई पहुंची। बताया जाता है कि पढ़ाई में अच्छी होने के कारण उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली थी। लेकिन फिर फिल्मों में एंट्री के कारण उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी।
यूं ही नहीं जयललिता के दीवाने थे उनके समर्थक
जयललिता को लेकर लोगों में दीवानगी थी (Reasons of Jaylalitha's Popularity) और है भी। तमिलनाडु में कई लोग उनकी पूजा भी करते हैं। यही कारण है कि जब वह आखिरी दिनों में अस्पताल में भर्ती हुईं तो वहां दिन-रात चाहने वालों का तांता लगा रहा। लेकिन यह सब सिर्फ सिनेमा के बूते नहीं हुआ। जयललिता की छवि एक आत्मनिर्भय महिला की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए सामाजिक क्षेत्र की कई योजनाएं शुरू कीं। इनमें कन्या भ्रूण हत्या से निपटने के लिए ‘क्रैडल टू बेबी स्कीम’, बच्चियों को जन्म देने वाली महिलाओं को 'मुफ्त सोने का सिक्का' देने जैसी योजनाएं हैं। उन्होंने अपने ब्रैंड नेम ‘अम्मा’ के तहत 18 योजनाएं शुरू कीं। इनमें शहरी गरीबों के लिए 'अम्मा कैंटीन' में 1 रुपये में भोजन से लेकर सब्सिडी पर ‘अम्मा साल्ट’, ‘अम्मा वाटर’ और ‘अम्मा मेडिसीन’ जैसी योजनाएं शामिल हैं।
विवादों से तगड़ा नाता, जमीन घोटाला और जेल
तमाम उपलब्धियों और सम्मान के बीच जयललिता का दामन हमेशा से विवादों (Jaylalitha Conttroversies) के नाम भी रहा। 1991 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बनीं और पहले कार्यकाल में ही जयललिता पर जमीन घोटाले और आय से अधिक संपत्ति रखने जैसे गंभीर आरोप लगे। जबकि दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2001 में जयललिता को अवैध तरीके से सरकारी जमीन हथियाने के कारण पांच साल जेल की सजा भी सुनाई गई। वह जेल भी गईं। जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, कोई भी व्यक्ति जिसके खिलाफ कोर्ट में आपराधिक मामला है और दो साल से अधिक की सजा सुनाई गई है, वह मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। लिहाजा जयललिता के खिलाफ quo warrant (किस अधिकार से रिट) जारी किया गया और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी।
मुख्यमंत्री को इशारे पर नचाने का आरोप
जयललिता ने मुख्यमंत्री का पद भले ही छोड़ दिया। लेकिन इसके बाद उनकी पार्टी ने ओ. पनीरसेल्वम को नया सीएम बनाया। जयललिता पर आरोप लगे कि वह मुख्यमंत्री को अपने इशारों पर चलाती हैं। इस बीच 2003 में जयललिता को कोर्ट ने सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। जयललिता दोबारा से मध्यावधि चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन गईं। साल 2011 में कोर्ट ने उन्हें उनके पहले कार्यकाल से चले आ रहे बाकी आरोपों से भी 2011 में बरी कर दिया।
एमजीआर के साथ रिश्ते पर भी विवाद
जयललिता की निजी जिंदगी भी विवादों में खूब रही है। उन्होंने कभी शादी नहीं की। लेकिन एमजीआर के साथ उनके रिश्तों (Jaylalitha MGR Relation) को लेकर हमेशा से विवाद रहा। दोनों सिनेमाई दुनिया के दिनों से साथ थे। एमजीआर ने अपनी पार्टी में जयललिता को आते ही बड़े औहदे पर रखा। एमजीआर के निधन के बाद जयललिता ही पार्टी की सिरमौर भी बनीं। एमजीआर जयललिता के राजनीतिक गुरु बने। लेकिन इस रिश्ते को लेकर तमाम तरह की बातें हुईं और जयललिता ने कभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
गोद लिए बेटे की करोड़ों की विवादित शादी
जयलिता की खास सहेली थीं शशिकला। वह पहले जयलिता के कार्यक्रमों में फोटाग्राफी किया करती थीं। जयललिता ने शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन को गोद लिया था। 1995 में जयललिता ने उसकी शाही अंदाज में शादी (Jaylalitha Son Royal Wedding) की। इस शादी में करोड़ो रुपये खर्च किए गए थे। यह शादी इतनी आलीशान थी कि 'इंडिया टुडे' मैगजीन ने इसे ‘मदर ऑफ ऑल वेडिंग’ बताया था। तब जयललिता पर खूब अंगुलिया उठी थीं।
कलर टीवी की खरीद पर विवाद
जयललिता ने तमिलनाडु के ग्रामीणों में सामुदायिक शिक्षा और मनोरंजन की योजना चलाई। इसके लिए गांव के लोगों में कलर टीवी बांटे गए। आरोप लगा कि जयललिता ने ऊंचे दाम पर टीवी खरीदे और टीवी बनाने वालों से अधिकारियों के जरिए घूस भी लिए। यही नहीं, यह भी आरोप लगा कि ये टीवी चुनाव में वोट देने के लिए ग्रामीणों को लुभाने का हथकंडा था।
महंगी साड़ियां और सैकड़ों जूतियां
साल 1996 में जयललिता को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। तब उनके पास से साड़ियों, गहनों, जूतियों और घड़ियों का खजाना मिला था। उनके पास से लगभग 30 किलो हीरे जड़ित सोने के गहने, 10 हजार महंगी साड़ियां, 750 जोड़ी जूतियां, 91 डिजाइनर घड़ियां और 19 महंगी गाड़ियां बरामद की गई थीं। यह सब कहां से आया, इसको लेकर कभी कोई जवाब नहीं मिला।
शशिकला के लिए तांसी जमीन सौदा !
साल 1998 की बात है। शशिकला और जयललिता के मालिनकाना हक वाले जया पब्लिकेशन्स ने सरकारी कंपनी तांसी (तमिलनाडु स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन) की जमीन कम कीमत में खरीदी। इस मामले में जस्टिस पी. अंभाजगन ने अपने फैसले में कहा कि यह सौदा सरकार के साथ जानबूझकर धोखा देने की नीयत से किया गया है।
अकाउंटेंट राजशेखरन की पिटाई
जयललिता के पूर्व अकाउंटेंट आर. राजशेखरन ने 1999 में जयललिता, शशिकला और शशिकला के भतीजे वी. महादेवन के खिलाफ जान से मारने की कोशिश के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। राजशेखरन ने अपनी शिकायत में कहा कि जयललिता ने उन्हें अपने पॉयस गार्डन वाले बंगले पर बुलाया और उन्हें नुकीले जूतों और छड़ी से पीटा गया। यही नहीं, जयललिता और शशिकला ने उनसे 50 लाख रुपये देने के शपथ पत्र पर दस्तखत भी करवाए। जयललिता ने बाद में बयान जारी कर इन तमाम आरोपों से इनकार कर दिया।
कोयला आयात घोटाला और कोडइकनाल होटल
साल 1999 में जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने जयललिता पर मुख्यमंत्री रहते हुए 700 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले का आरोप लगाया। कहा गया कि यह घोटाला तमिलनाडु इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड के लिए विदेशी कोयला खरीदने में किया गया था। इसके अलावा जयललिता पर साल 2000 में कोडाइकनाल में ‘प्लेसेंट स्टे’ नाम के होटल के निर्माण को नियमों के खिलाफ जाकर इजाजत देने का आरोप लगा। यह सात मंजिला होटल कोडइकनाल के ब्लू विले इलाके में बना था। इस मामले में दिसंबर 2001 में मद्रास हाईकोर्ट ने जयललिता को राहत दे दी थी।
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