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Monday 16 August 2021

काबुल में 10 हफ्ते हाउसफुल चली थी 'खुदा गवाह', अफगानिस्तान को बॉलिवुड से है खास लगाव

में अमेरिका और नाटो की फौजों के जाने के बाद अफरा-तफरी का महौल है। अफगानिस्तान की नागरिक सरकार लगभग ध्वस्त हो चुकी है और राजधानी काबुल सहित अधिकांश भागों में एक बार फिर का कब्जा हो गया है। तालिबान के आने के बाद एक बार फिर अफगानिस्तान कबीलाई दौर में पहुंच सकता है। भले ही पिछले 30-40 सालों से अफगानिस्तान के हालात बहुत खराब हों मगर एक वक्त था जब अफगानिस्तान आर्ट, लिटरेचर, फैशन, म्यूजिक और सिनेमा के मामले में एक खुला हुआ समाज था। तब अफगानिस्तान में भारतीय फिल्में बेहद पॉप्युलर हुआ करती थीं। 'धर्मात्मा' में अफगान लड़की बनी थीं हेमा मालिनी अफगानिस्तान में शूट हुई फिल्मों की बात करें तो फिरोज खान की फिल्म 'धर्मात्मा' जरूर याद आएगी। इस फिल्म में हेमा मालिनी ने एक अफगान लड़की रेशमा का किरदार निभाया था। रेशमा को एक हिंदुस्तानी लड़के यानी फिरोज खान के किरदार रणबीर से प्यार हो जाता है। इस फिल्म में अफगान लड़की का किरदार निभाने के बाद हेमा मालिनी अफगानिस्तान में बेहद पॉप्युलर हो गई थीं। आज भी उस समय के लोग हेमा मालिनी को अच्छी तरह पहचानते हैं। इस फिल्म के काफी हिस्सों की शूटिंग अफगानिस्तान में ही की गई थी। काबुल में 10 हफ्ते हाउसफुल चली थी 'खुदा गवाह' के मेगास्टार अमिताभ बच्चन की 1992 में रिलीज हुई फिल्म 'खुदा गवाह' का काफी हिस्सा भी अफगानिस्तान में शूट हुआ था। फिल्म में अमिताभ का किरदार बादशाह खान, श्रीदेवी का बेनजीर और डैनी का रोल खुदा बख्श अफगानी दिखाए गए थे। इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग अफगानिस्तान के शहर मजार-ए-शरीफ, कंधार, काबुल और इनके आसपास के इलाकों में हुई थी। इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी को अफगानिस्तान में हद से ज्यादा पॉप्युलर बना दिया था। आज भी अफगानिस्तान के ज्यादातर लोग अमिताभ बच्चन को पहचानते हैं। अफगानिस्तान में इस फिल्म की पॉप्युलैरिटी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि काबुल के सिनेमाघरों में 'खुदा गवाह' 10 हफ्ते तक हाउसफुल चली थी। जब अफगान राष्ट्रपति नजीबुल्लाह ने किया अमिताभ का स्वागत सोवियत फौजों की वापसी के बाद 1987 में नजीबुल्लाह अहमदजई अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हुए। नजीबुल्लाह बॉलिवुड की फिल्मों के बहुत शौकीन थे। उन्होंने खुद अमिताभ बच्चन को बुलाया था और वीवीआईपी की तरह स्टेट गेस्ट हाउस में ठहराया था। वहां अमिताभ बच्चन को दिल खोलकर प्यार मिला था। अमिताभ ने एक बार बताया था कि किस तरह वहां कंधों पर उठाकर उनका और डैनी का स्वागत किया गया था। 1992 में सोवियत संघ के टूटते ही नजीबुल्लाह की सरकार चली गई। बाद में अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ गया और 1996 में तालिबान ने नजीबुल्लाह को सरेआम फांसी पर लटका दिया था। तब अफगानिस्तान का एक बुरा दौर शुरू हो चुका था। अफगानिस्तान में शूट हुई आखिरी फिल्म थी 'काबुल एक्सप्रेस' अफगानिस्तान से तालिबान के शासन के खात्मे के बाद डायरेक्टर कबीर खान ने फिल्म 'काबुल एक्सप्रेस' बनाई थी। इस फिल्म में जॉन अब्राहम और अरशद वारसी ने इंडियन जर्नलिस्ट्स की भूमिका निभाई थी जबकि पाकिस्तानी ऐक्टर सलमान शाहिद ने एक अफगानी तालिबान की भूमिका निभाई थी। फिल्म की शूटिंग काबुल के ग्रीन पैलेस, बाला हिसार फोर्ट, दारुल अमान पैलेस और पंजशीर वैली में हुई थी। इस फिल्म के बाद कोई भी फिल्म अफगानिस्तान में शूट नहीं हुई। अफगानिस्तान के बाजारों में बिकते थे 'तुलसी' और 'पार्वती' के पोस्टर समय के साथ अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और श्रीदेवी के बाद शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान भी अफगानिस्तान में काफी पॉप्युलर हुए। तब पाकिस्तान से पाइरेसी के जरिए बॉलिवुड फिल्मों की सीडी अफगानिस्तान में बिका करती थीं। अफगानिस्तान में आज भी ज्यादातर लोग बॉलिवुड फिल्में देखकर ही हिंदी सीखे हैं। अफगानिस्तान में केवल भारतीय फिल्में ही नहीं बल्कि टीवी सीरियल भी पॉप्युलर रहे हैं। तालिबान के शासन के खात्मे के बाद यहां एकता कपूर के टीवी सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' और 'कहानी घर घर की' काफी पॉप्युलर हुए थे। इनकी पॉप्युलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान के बाजारों में स्मृति ईरानी और साक्षी तंवर के किरदारों तुलसी और पार्वती के पोस्टर्स बाजारों में खूब बिका करते थे। कम न हो पाएगा अफगानियों में बॉलिवुड के लिए प्यारतालिबान का शासन आने के बाद फिल्में देखने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी। हालांकि फिर भी अफगानिस्तान के लोगों के दिल में बॉलिवुड के लिए प्यार जिंदा रहा। 20 साल पहले तालिबान पर अमेरिका के हमले के बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर खुला माहौल नजर आने लगा जिसके बाद लोग एक बार फिर बॉलिवुड फिल्मों की तरफ आकर्षित होने लगे। तालिबान का शासन लौटने पर एक बार फिर पुराने हालात वापस आ सकते हैं क्योंकि कबीलाई सरकार एक बार फिर लोगों पर बंदिशें थोप सकती है। मगर कितनी भी बंदिशें लगाई जाएं, अफगान लोगों के दिल बॉलिवुड के लिए मोहब्बत कम करना शायद मुश्किल ही होगा।


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