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Saturday 7 August 2021

शार्ट्स पहनकर गुलजार से मिलने पर नीना गुप्ता ने कहा- तीस साल पहले भी उनसे ऐसे ही मिलती थी

कभी सोशल मीडिया पर काम मांगने वाली ऐक्ट्रेस आज 'सरदार का ग्रैंडसन' और 'डायल 100' जैसी फिल्मों में केंद्रीय किरदार निभाकर नायिका की नई परिभाषा गढ़ रही हैं। अपनी नई फिल्म 'डायल 100' के सिलसिले में हुई एक खास बातचीत में उन्होंने हमसे इस सुखद बदलाव से लेकर अपनी आत्मकथा, कपड़ों को लेकर ट्रोलिंग, बिटिया मसाबा आदि पर खुलकर चर्चा की: आपने हाल ही में कहा कि पहले आपने पैसों की खातिर ऐसे रोल किए, जो आपको पसंद नहीं थे। वहीं, अब आप लगातार लीड रोल कर रही हैं। इस बदलाव को कैसे देखती हैं? इस बदलाव के लिए मैं भगवान को हर रोज शुक्रिया बोलती हूं कि आखिरकार अब मुझे अच्छे किरदार निभाने को मिल रहे हैं।कभी-कभी ये भी विचार आता है कि काश इस वक्त में जवान होती या जब मैं युवा थी, उस वक्त मुझे ऐसा मौका मिलता, लेकिन फिर मैं उस खयाल को दबा देती हूं कि चलो, अभी तो मिल गया। मैं बहुत खुश हूं कि मेरी जिंदगी में ये दौर आया और इसका सारा श्रेय जाता है निर्देशक अमित शर्मा को, जिन्होंने बधाई हो बनाई और जो कुछ हो रहा है, उसी वजह से हो रहा है। 'सरदार का ग्रैंडसन' या 'डायल 100' जैसी आपकी फिल्में बॉलिवुड की उस परिपाटी को भी तोड़ती हैं कि उम्रदराज ऐक्ट्रेस लीड नहीं हो सकती। आपकी इस पर क्या राय है? हां, मुझे लगता है कि हमारी फिल्मों में ऐसा पहली बार हो रहा होगा कि एक उम्रदराज औरत फिल्म की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले रही हो। मुझे पक्का नहीं मालूम, पर मुझे ऐसा लगता है। मेल ऐक्टर्स को तो मिलते थे ऐसे रोल, लेकिन ऐक्ट्रेसेज को वही नानी, दादी, आंटी, मम्मी के छोटे-मोटे रोल ही मिलते थे, जो मैं भी कर ही रही थी। मैंने 'मुल्क' की, 'संदीप और पिंकी फरार' भी की। वे सपोर्टिंग रोल थे। बधाई हो में भी मैं सपोर्टिंग में ही थी, हीरो-हीरोइन तो दूसरे थे, लेकिन बधाई हो ने सब बदल दिया। अपने इतने लंबे फिल्मी सफर में आपको इस इंडस्ट्री से सबसे अहम सीख क्या मिली? सबसे अहम सीख ये मिली कि यहां काम मांगने के लिए थोड़ा बेशरम होना पड़ता है। अगर आप झिझकते रहोगे कि मैं बार-बार कॉल कर रही हूं, तो वे तंग तो नहीं हो जाएंगे, ऐसा नहीं होता। आपको लगे रहना पड़ता है, ये सबसे जरूरी होता है। इन दिनों आपकी आत्मकथा भी खूब चर्चा में है। क्या किताब का कोई ऐसा पहलू था, जिसे सामने लाने में आपको हिचक थी? नहीं, जब मैं ये लिख रही थी, तो मैं बिलकुल साफ थी कि क्या बताना है और क्या नहीं। मैं बहुत सालों से ये लिखने का सोच रही थी, पर तब लिखने बैठती थी, तो सोचती थी कि नहीं ये बात मैं कैसे सबको बताऊंगी, लेकिन इस बार कुछ अलग ही हुआ। मुझे पता था कि मुझे क्या बताना है, क्या नहीं बोलना है। कोई शक नहीं था मेरे दिमाग में, इसीलिए किताब लिख भी गई। मुझे लग रहा था कि मुझे मुश्किल आएगी कि ये लिखूं या छोड़ दूं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक फ्लो में लिखती गई। जल्द ही मसाबा की बायॉपिक मसाबा मसाबा का दूसरा सीजन भी आने वाला है। कोई ऐसी चीज है, जो आपने मसाबा से सीखी हो और कोई खास सीख, जो आपने उन्हें दी? मैं मसाबा से बहुत कुछ सीखती हूं, मुझे लगता है, वो भी मुझसे सीखती है। बच्चे मां-बाप को देखकर सीखते हैं। उनको बिठाकर बताओगे, तो नहीं सीखेंगे। मैंने मसाबा से जो बड़ी बात सीखी है, वह ये है कि वह जिस चीज के पीछे लग जाती है, उसे छोड़ती नहीं है। लगी रहती है। मैं थोड़ा सा निराश हो जाती हूं कभी-कभी कि नहीं हो रहा तो छोड़ो, पर वह नहीं छोड़ती है। जब आप गुलजार साहब को अपनी किताब देने गईं, तो आपके शॉर्ट्स पहनने को लेकर ट्रोल्स आहत हो गए। आपके पहनावे पर काफी टिप्पणी की। उनको आप क्या जवाब देना चाहेंगी? उन्हें ये बता दो कि काफी साल पहले, मैं तीस साल से भी पहले की बात कर रही हूं, जब मसाबा पैदा भी नहीं हुई थी, मुझे मेरा पहला टेनिस रैकेट गुलजार साहब ने दिया था। वे रोज अंधेरी में टेनिस खेलने जाते थे और मेरा घर जुहू में था, तो मैंने उनसे कहा कि मुझे भी सीखना है, तो वे रोज सुबह साढ़े 6 बजे मुझे पिक अप करते थे। तब वे भी शार्ट्स पहने होते थे और मैं भी शॉर्ट्स में होती थी, तो इन बेवकूफों से कह दो कि हम तबसे शॉर्ट्स पहनकर एक-दूसरे से मिलते थे (हंसती हैं)। देखो, जिसको जो कहना है, वो कहने के लिए आजाद है। इसी तरह, मैं भी जो करना चाहती हूं, उसके लिए आजाद हूं, तो सब लगे रहो। मैं न किसी को ज्ञान दे रही हूं, न किसी को बुरा कह रही हूं, सिर्फ बता रही हूं। जी फाइव की फिल्म 'डायल 100' की तरह कभी असल जिंदगी में आपने पुलिस को 100 नंबर डायल किया है? हां, मैंने एक बार 100 नंबर डायल किया है, जब बॉम्बे में दंगे हुए थे। तब मैं आराम नगर में रहती थी और रात को गोलियां चलने की आवाज आई। तब मसाबा छोटी थी, तो मैं उसे लेकर अपने पड़ोसी के यहां चली गई। हम सब लोग वहीं इकट्ठा थे। हम लोग बहुत डर गए थे, तब मैंने 100 नंबर डायल किया था। मैंने उन्हें जब हालात बताया, तो उन्होंने कहा कि हम सब ठीक कर रहे हैं, चिंता मत करो।


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