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Tuesday, 5 November 2019

मैं स्टेज पर जाकर सब कुछ भूल गई: यामी

यामी गौतम ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत आयुष्मान खुराना संग 'विक्की डोनर' से की थी। अब सात साल बाद यामी और आयुष्मान फिर बाला में नजर आने वाले हैं। बाला में यामी टिकटॉक स्टार और मॉडल का किरदार निभा रही हैं। इस मुलाकात में यामी हमसे फिल्म और निजी जिंदगी पर ढेर सारी बातचीत करती हैं : आयुष्मान संग आपने अपने करियर की शुरुआत की थी। अब दोबारा 7 साल बाद 'बाला में साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? जब मुझे पता चला कि हम साथ में काम कर रहे हैं, तो मैं खुश हुई। मैं मानती हूं कि बाला हमारे लिए परफेक्ट स्क्रिप्ट भी थी जिससे हम साथ वापसी कर सकते थे। हमने पहली हिट फिल्म साथ में दी। आयुष्मान के साथ बहुत सारी यादें जुड़ी हैं। हम सेट पर पुराने दिनों को बहुत याद करते थे। सेट पर कई मोमेंट्स हमारे लिए देजा वू वाला भी रहा। हालांकि उस वक्त और आज के वक्त में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन कॉमन फैक्टर यह है कि काम को लेकर डेडिकेशन और जुनून आज भी वैसा ही है। फिल्म गंजेपन और रंगभेद को लेकर मेसेज देने की कोशिश कर रही है और आप निजी जिंदगी में एक फेयरनेस क्रीम की ब्रैंड एंबैसडर हैं...! वक्त बदल रहा है‌। यह बात बहुत अच्छी है कि हम जागरुक हुए हैं। जहां तक ब्रैंड्स की बात की जाए, तो उस तरह के कॉन्सेप्ट नहीं बनते, जो आज से बीस या तीस साल पहले बनाए जाते थे। जब मैंने यह विज्ञापन साइन किया था, तो उस वक्त काफी बदलाव आ चुका था। डील करते वक्त मेरी भी ब्रैंड्स से यही बात हुई थी कि हमें समय के साथ इवॉल्व करना है। बैंड मार्केट करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है, जिस तरह की फेयरनेस प्रॉडक्ट इंडियन मार्केट में है, ठीक वैसे ही विदेशों में टैनिंग क्रीम्स भी हैं। यह आपका निर्णय होना चाहिए कि आप अपने स्किन के लिए क्या चाहते हो। आपको टाइम होना है गोरा होना है या नहीं होना है। आपके लिए ब्यूटी की क्या परिभाषा है, यह केवल आपको ही तय करना है। न कि आप पर कोई प्रेशर या कंडीशन होना चाहिए कि आप गोरे होंगे तो ही आपको सफलता मिलेगी। आपकी सक्सेस पर बाहरी किसी फैक्टर का हाथ नहीं होता। क्योंकि उस ब्रैंड का नाम फेयरनेस से जुड़ा है, इसलिए शायद लोग इससे परे उसे नहीं सोच पा रहे हैं। हालांकि अब देखें, तो ब्रैंड किसी तरह का डिस्क्रिमिनेशन नहीं करता बल्कि उसने वह चार फेस शेड्स भी हटा दिए हैं। फिल्म में भी हम किसी कमी को नहीं दिखा रहे, बल्कि खुद से प्यार करना सिखा रहे हैं। खूबसूरती को लेकर हमारे देश में जो परिभाषा है उसी को फिल्म के जरिए बदलने की एक पहल है। फिल्म इंसान के अंदर की कमी की बात करता है। आपके अंदर क्या कमी थी, जिसे आपने ओवरकम किया? बचपन में मुझे पब्लिक स्पीकिंग का बहुत बड़ा प्रॉब्लम था। मैं शुरू से ही बहुत रिजर्व किस्म की लड़की रही हूं। मेरे बारे में बस मेरे दोस्त और परिवार वाले ही जानते थे। पढ़ाई में अच्छी होने के बावजूद मेरे अंदर कॉन्फिडेंस नहीं आ पाता था कि मैं पब्लिक के बीच अपने विचार रख सकूं। मुझे आज भी याद है कि जब मैं दसवीं में थी और मुझे कविता पढ़नी थी। मैंने उस दिन की बहुत तैयारी की थी। जैसे मैं स्टेज पर आई और लोगों को देखा, मैं जम गई। वहां जाकर सब कुछ भूल गई। बिना कुछ बोले स्टेज से भाग गई। फैन्स की शिकायत रही है कि आप फिल्मों को लेकर चूजी हैं, क्या कहना चाहेंगी? ऐसा नहीं है। सच कहूं तो बीच में मैंने कुछ ऐसी फिल्में भी की है जिसको लेकर अंदर से आवाज आती थी कि मुझे यह फिल्म नहीं करनी चाहिए थी। हालांकि मैंने वे फिल्में की क्योंकि मुझे लोगों की नजर में रहना था। एक आउटसाइडर के लिए यह बिल्कुल भी आसान नहीं है कि वह बैठकर फिल्मों का इंतजार करे। न मेरा कोई बड़ा सरनेम है और न ही यहां मेरा कोई गॉडफादर है। हम जैसों को हर दिन अपने आपको साबित करना पड़ता है। मैं वैसी ऐक्ट्रेस भी नहीं हूं, जो लाइमलाइट में बने रहने के लिए चीप पब्लिसिटी का इस्तेमाल करे। मुझे पता है कि मेरा काम ही मुझे आगे तक लेकर जाएगा। मुझे खुशी है कि 'उरी' के बाद कई बड़े डायरेक्टर्स ने भी अपना विश्वास मुझ पर दिखाया है। उन्हें लगता है कि मैं अब अलग-अलग रोल करने में सक्षम हूं।


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