अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी आखिरी फिल्म '' आज रिलीज हो गई है। फैन्स को सुशांत की इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार था। यह फिल्म इंग्लिश नॉवल और फिल्म 'द फॉल्ट इन ऑवर स्टार्स' पर बनाई गई है। सुशांत ने अपनी सारी फिल्में जिंदादिली वाली की हैं और यह फिल्म भी उससे अलग नही है। अगर आप फिल्म की कहानी जानते भी हैं तो फिर भी यह देखने लायक है। कहानी: एक लड़की है किजी बसु () जो अपनी मां (स्वास्तिका मुखर्जी) और पिता (साश्वता चटर्जी) के साथ रहती है। किजी को थायरॉयड कैंसर है और वह हर समय अपने ऑक्सीजन सिलेंडर, जिसे वह पुष्पेंदर कहती है, के साथ चलती है। इलाज के दौरान किजी की मुलाकात एक बेहद मस्तमौला लड़के इमैनुअल राजकुमार जूनियर यानी मैनी (सुशांत सिंह राजपूत) से होती है जो खुद एक कैंसर ऑस्ट्रियोसर्कोमा से जूझ रहा है और इसके कारण उसकी एक टांग भी चली गई है। किजी अपनी मौत का इंतजार करती हुई एक अकेली लड़की है जिसकी जिंदगी में मैनी खुशियां लेकर आता है। किजी का एक फेवरिट सिंगर है जिसका नाम अभिमन्यु वीर सिंह है लेकिन उसका आखिरी गाना अधूरा है। किजी अपनी जिंदगी में अभिमन्यु से मिलना चाहती है और उसकी यह इच्छा खुद कैंसर से जूझता मैनी पूरी करता है और उसे पैरिस लेकर जाता है। पैरिस जाने से पहले किजी की तबीयत बिगड़ जाती है। अब किजी को मरने से डर लगने लगा है क्योंकि उसे मैनी से प्यार हो गया है। किजी को लगता है कि वह मैनी पर बोझ बन रही है लेकिन मैनी किजी को अकेला नहीं छोड़ना चाहता। फिल्म के अंत में क्या होता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी। रिव्यू: अगर आप सुशांत के फैन हैं तो बहुत रो चुके उनको को याद करके, यह फिल्म आपको सुशांत के लिए हंसना सिखाएगी। सुशांत को देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। मैनी के रोल में शायद सुशांत से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था। सुशांत का पहला सीन निश्चित तौर पर फैन्स को इमोशनल कर जाएगा। मैनी एक मस्तमौला लड़का है जिसे किसी का फर्क नहीं पड़ता है। सुशांत को हमने तब खोया है शायद जब वो अपने बेस्ट पर थे। उनकी ऐक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग गजब की है। सुशांत के फेशल एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलिवरी, वॉइस मॉड्यूलेशन सब गजब का है। अपनी पहली ही फिल्म में संजना सांघी ने इतनी अच्छी परफॉर्मेंस दी है कि कहीं से भी नहीं लगता है कि यह उनकी डेब्यू फिल्म है। किजी की ऐंग्री यंग वुमन मां के किरदार में स्वास्तिका मुखर्जी छा गई हैं। एक ऐसी मां जो हर समय अपनी कैंसर से जूझती लड़की का ख्याल रखती है। किजी के पिता के रोल में साश्वता चटर्जी बेहतरीन हैं जो एक बिंदास बाप का किरदार निभा रहे हैं। वह अपनी बेटी की स्थिति समझते हुए भी उसे हर खुशी देते हैं और उनकी आंखों में अपनी बेटी के लिए दुख भी दिखाई देता है। पैरिस में अभिमन्यु के तौर पर मिलते हैं सैफ अली खान जो एकदम बदतमीज और अक्खड़ आदमी है। 2 मिनट के रोल में सैफ अली खान छाप छोड़कर जाते हैं। फिल्म के गाने 'दिल बेचारा', 'मेरा नाम किजी', 'तुम ना हुए मेरे तो क्या' और 'खुल कर जीने का तरीका' बेहतरीन बन पड़े है। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर एआर रहमान ने बेहद खूबसूरत दिया है। फिल्म के गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। मुकेश छाबड़ा की डायरेक्टर के तौर पर यह पहली फिल्म है। उनका डायरेक्शन अच्छा है लेकिन टाइटल सॉन्ग को शायद उन्होंने बहुत जल्दी और गलत जगह इस्तेमाल किया है। फिल्म के डायलॉग्स इमोशनल करने वाले हैं और लोकेशंस बेहद खूबसूरत हैं। और अंत में, एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी लेकिन इस कहानी और फिल्म दोनों को वह राजा यानी की सुशांत पूरी करता है। क्यों देखें: अपनी आखिरी फिल्म के आखिरी सीन में भी सुशांत ने अपने फैन्स को उन्हें हंसते हुए याद रखने का संदेश दे दिया है। यह फिल्म सुशांत के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है इसलिए मिस न करें।
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