पोर्नोग्राफी केस (Pornorgaphy Case) में () ने बिजनसमैन राज कुंद्रा को अंतरिम राहत () दी है। कोर्ट ने बुधवार को क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज केस में राज कुंद्रा की गिरफ्तारी पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी है, वहीं उनकी जमानत याचिका को भी स्वीकार करते हुए उस पर 25 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की है। इससे पहले 7 अगस्त को कोर्ट ने राज कुंद्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। साल 2020 में दर्ज एफआईआर में राज कुंद्रा के खिलाफ कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील वीडियो प्रसारित करने के आरोप हैं। कोर्ट में बुधवार को इसी मामले में सुनवाई हुई है। सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दी जमानत याचिकाजस्टिस संदीप के शिंदे की सिंगल बेंच बुधवार को राज कुंद्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। राज कुंद्रा के खिलाफ 2020 में दर्ज इस एफआईआर में कई संगीन आरोप हैं। पुलिस ने 19 जुलाई को राज कुंद्रा को ऐसे ही एक अन्य एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह जेल में बंद हैं। राज कुंद्रा की अंतरिम जमानत याचिका को सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज कुंद्रा बोले- एफआईआर में मेरा नाम नहीं'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी याचिका में राज कुंद्रा ने कहा है कि सायबर सेल ने बीते साल जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें कहीं भी उनका नाम नहीं है। यही नहीं, उन्होंने मामले में पुलिस की जांच में पूरा सहयोग किया है और कई बार बयान भी दर्ज करवा चुके हैं। राज कुंद्रा ने यह भी कहा है कि उन्होंने जांच से जुड़े सारे कागजात भी पुलिस को सौंप दी है। 'मैंने आर्म्सप्राइम में सिर्फ पैसा लगाया था'राज कुंद्रा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जो याचिका दी है, उसमें कहा गया है कि फरवरी 2020 में उनके एक परिचित ने उनसे आर्म्सप्राइम मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी में निवेश करने के लिए संपर्क किया था। यह कंपनी आर्टिस्ट्स को अपनी प्रतिभा दिखाने और क्लाइंट्स से बातचीत करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म देती है। यह बिजनस सब्सक्रिप्शन मॉडल पर आधारित था। बिजनसमैन राज कुंद्रा ने कहा कि इस ऑफर को सुनने के बाद उन्हें यही लगा कि यह एक नया और अनोखा आइडिया है। उन्होंने दावा किया है कि वह केवल फरवरी से दिसंबर 2019 तक इस कंपनी से जुड़े थे। उन्होंने यह भी दावा किया है वह कभी भी कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट बनाने या कॉन्टेंट क्रिएशन में सक्रिय तौर पर नहीं जुड़े। यानी उन्हें नहीं पता कि इसके लिए आर्टिस्ट्स से किस तरह का कॉन्ट्रैक्ट करवाया गया है या किस तरह के कॉन्टेंट बनाए जा रहे हैं। 'हॉटशॉट्स का पोर्नोग्राफी से कोई लेना-देना नहीं'कुंद्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि इस कंपनी ने जो ऐप्स बनाए, उनमें से एक का नाम 'हॉटशॉट्स' था और पुलिस के दावे से उलट इस ऐप का पोर्नोग्राफी से कोई लेना-देना नहीं था।राज कुंद्रा का कहना है कि इस मामले में उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। याचिका में आगे कहा गया है कि कुंद्रा को इसी तरह की धाराओं के तहत एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया है और पुलिस की जांच में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य दस्तावेजों को जब्त कर लिया गया था, जो पहले से ही उनकी हिरासत में थे। वकील ने दिया पूनम पांडे, शर्लिन चोपड़ा का उदाहरणराज कुंद्रा के वकील प्रशांत पाटिल ने कोर्ट में तर्क दिया कि शर्लिन चोपड़ा और पूनम पांडे सहित मामले के अन्य दूसरे आरोपियों को हाई कोर्ट ने अंतरिम सुरक्षा दी थी। वकील ने कहा कि राज कुंद्रा की हिरासत में पूछताछ की भी जरूरत नहीं थी। यही नहीं, राज कुंद्रा के खिलाफ जिन अपराध की धाराएं लगाई गई हैं, उसमें 7 साल से कम जेल की सजा और दंड का प्रावधान है, ऐसे में उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा मिलनी चाहिए थी। वकील ने कहा- बहस के लिए एक हफ्ते का वक्त दीजिएकोर्ट में एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्राजक्ता शिंदे ने राज कुंद्रा की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट से कहा कि मामले में राज कुंद्रा की भूमिका अन्य आरोपियों से अलग थी और इसलिए समानता के आधार पर वह सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते। शिंदे ने बिजनसमैन की याचिका के मेरिट्स पर बहस के लिए अदालत से समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने वकील को समय देते हुए कुंद्रा को साल 2020 की एफआईआर मामले में राहत देते हुए एक हफ्ते तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 अगस्त की तारीख मुकर्रर की। इससे पहले हाई कोर्ट ने 7 अगस्त को राज कुंद्रा और उनके सहयोगी रायन थार्प की जमानत याचिका को खारिज कर दी थी।
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