इस कोरोना महामारी में न जाने कितने ही लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। काम न मिलने के कारण आम लोगों से लेकर फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों तक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा रहा है। कुछ हफ्तों पहले शगुफ्ता अली (Shagufta Ali) और सविता बजाज (Savita Bajaj) जैसी ऐक्ट्रेसेस ने लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी और अब फिल्म और टीवी ऐक्ट्रेस सुनील शिरोल (Sunita Shirole) ने आर्थिक मदद की अपील की है। 'बजरंगी भाईजान', 'शापित', 'द लेजेंड ऑफ भगत सिंह' जैसी फिल्मों के अलावा 'किस देश में है मेरा दिल' और 'मिसेज कौशिक की पांच बहुएं' जैसे टीवी शोज में नजर आईं ऐक्ट्रेस सुनीता शिरोल इस वक्त बदहाल स्थिति में हैं और बिस्तर पर पड़ी हैं। वह कई बीमारियों से भी जूझ रही हैं। पढ़ें: एक रुपया तक नहीं बचा, अब नूपुर अलंकार के घर सुनीता शिरोल ने हमारे सहयोगी ईटाइम्स के साथ बातचीत में अपनी आर्थिक तंगी और बीमारी के बारे में बात की और बताया कि उनके पास एक रुपया नहीं बचा है। इस वक्त वह ऐक्ट्रेस नूपुर अलंकार (Nupur Alankar) के घर पर रह रही हैं। सुनीता शिरोल ने बताया, 'मैं एक फ्लैट में किराए पर रह रही थी। चूंकि मेरे पास एक रुपया नहीं बचा था तो मैं 3 महीने तक उस फ्लैट का किराया नहीं दे पाई। मैं CINTAA की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरी मदद के लिए नूपुर अलंकार को भेज दिया। वह फिलहाल मुझे अपने घर पर ले आई हैं और मेरे लिए एक नर्स भी रखी है।' 'टांग की हालत खराब, पैसों की जरूरत है' सुनीता शिरोल ने आगे कहा, 'मैं वापस काम शुरू करना चाहती हूं क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत है। लेकिन मेरी टांग की हालत और भी खराब होती जा रही है। पता नहीं मैं दोबारा चल भी पाऊंगी या नहीं। जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जाती, मुझे आर्थिक मदद की जरूरत है।' पढ़ें: पढ़ें: इन बीमारियों से जूझ रहीं सुनीता शिरोल सुनीता शिरोल ने बताया कि वह इस वक्त आर्थिक तंगी के अलावा स्वास्थ्य संबंधी किन समस्याओं से जूझ रही हैं। वह बोलीं, 'कोरोना महामारी शुरू होने से पहले तक मैं काम कर रही थी। इसके बाद कोई काम नहीं था तो मैंने अपनी पूरी जमा-पूंजी खत्म कर ली। दुर्भाग्य से उसी दौरान मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा क्योंकि किडनी में इंफेक्शन हो गया था और मेरे एक घुटने में बहुत बुरा दर्द था। ऊपर से मैं अस्पताल में दो बार गिर गई और मेरी बाईं टांग में फ्रैक्चर हो गया। मैं अब इसे ज्यादा मोड़ नहीं सकती। इससे पहले एक बार मेरी एंजियोप्लास्टी हुई थी। मैं ऐसी ही और भी तकलीफों से गुजर रही हूं।' पढ़ें: 'पछतावा है कि एक पैसा नहीं बचाया, ना घर लिया' सुनीता शिरोल को अब अपने पुराने दिन याद आ रहे हैं जब वह एकदम भली-चंगी थीं। उन्होंने खूब पैसा कमाया और हर जरूरतमंद की मदद की। लेकिन सुनीता की मानें तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि कभी वह जिंदगी में ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी होंगी। वह बोलीं, 'मैंने अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा एक बिजनस को सेट करने में लगा दिया जो मैंने और मेरे पति ने मिलकर शुरू किया था। लेकिन एक आग में सब चौपट हो गया और हमारा सब लुट गया। पति की साल 2003 में मौत हो गई। आज मैं दुनिया के रहम और करम पर हूं। जीना बहुत मुश्किल हो गया है। पछतावा होता है कि मुश्किल दिनों के लिए मैंने कोई जमा-पूंजी नहीं रखी और न ही मुंबई में एक घर तक लिया।'
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