अफगानिस्तान () पर तालिबान (Taliban) के कब्जे से पाकिस्तान खुश है। तालिबानी कब्जे से गदगद पाकिस्तान इस क्रूर सत्ता के सपोर्ट में और इसे मान्यता दिलाने की कोशिश में जुट गया है। पाकिस्तान से आवाजें उठने लगी हैं, जो तालिबान के बदले हुए चेहरे और उनके शांति संदेश के वादों पर दुनिया को भरोसा दिलाने कवायद में जुटी है। जहां अफगानिस्तान से वहां की आम जनता अपना सबकुछ छोड़कर दूसरे देश भागने के लिए परेशान है, वहीं पाकिस्तान तालिबान की तारीफों के पुल बांधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। पाकिस्तान की एक मशहूर वीजे, एंकर व ऐक्ट्रेस अनुशे अशरफ (Anoushey Ashraf)ने अफगानिस्तान के लिए भावुक पोस्ट लिखा है, जिसमें उन्होंने तालिबान के सपोर्ट में आवाज उठाने वालों को जमकर धोया है। अनुशे अशरफ ने अपने इस पोस्ट में लंबा-चौड़ा नोट लिखा है और अफगानिस्तान में बिताए खूबसूरत वक्त की ढेर सारे यादें तस्वीरों के रूप में शेयर की हैं। अनुशे अशरफ ने अपने पोस्ट में लिखा है, 'अफगानिस्तान में मेरी खूबसूरत यात्रा की झलकियां। मैं लकी थी कि साल 2016 में एक टीवी शो के लिए काबुल, हेरात, मजार शरीफ आदि का दौरा करने का मुझे मौका मिला। एक बार जब यह चैनल पर दिखाया गया तो मेरे इनबॉक्स में अफगानों के प्यार और प्रशंसकों की बाढ़ आ गई, जिन्होंने मेरी, मेरे काम और कई अन्य पाकिस्तानी कलाकारों की प्रशंसा की।' अनुशे ने आगे लिखा है, 'दूसरी ट्रिप पर मैं उन लड़कियों से मिली, जो ओलिम्पिक के लिए साइकिल चलाना चाहती थीं, ऐसे लड़के जो केवल अगला मेस्सी बनना चाहते थे, मैं मस्जिदों में उन इमामों से मिली, जिन्होंने मुझे प्यार, सम्मान और दुआ के साथ बधाई दी।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं कई शानदार टीवी होस्ट से मिली, जो तनावपूर्ण परिस्थितियों में रह रहे थे, लेकिन नए गेम शो को लेकर भी उत्साहित थे, जिसे वे लॉन्च कर रहे थे। मैं लेखकों और कवियों से मिली। मैं हजारा के बच्चों से मिली, जो सदमे के साथ भी सुंदर लग रहे थे। वे बिल्कुल आपके और मेरे जैसे थे और आज वे असहाय और बेघर हैं। यह सरकार (भ्रष्ट गनी) या अमेरिकियों को मेरा हीरो नहीं बनाता है, लेकिन क्या तालिबान बेहतर है? तो अपनी नफरत बंद करो। इस समय, जो भी राष्ट्र का नेतृत्व करता हो, देश अभी भी संकट में है और लोगों का जीवन फिर से बाधित हो गया है। यह सही नहीं है।' अनुशा ने लिखा है, 'कोई भी अपना घर नहीं छोड़ना चाहता और रिफ्यूजी की तरह नहीं रहना चाहता। इस सीरीज की दूसरी आखिरी तस्वीर को देखिए। मैंने उनमें से सबकी फोटो खींची। ये इंसान हैं जो सपने देखते हैं। कृपया खुद से पूछें कि आप इतने कठोर क्यों हो गए हैं, कि लोगों को सांस लेने के लिए जगह देने के बजाय, आप उन्हें गाली देते हैं। उन्हें (ये उदारवादी) जैसे टाइटल देते हैं, कृपया दयालु बनें। अंदर से एक सच्चे मुसलमान बनें, तो तुम इस दुनिया में कभी भी किसी के लिए नफरत नहीं पालेंगे। ये सत्ता में बैठे लोग जरूर कह रहे हैं कि वे शांति चाहते हैं, लेकिन कई लोगों के लिए शांति केवल उनकी शर्तों पर आती है।' अनुशे ने इस पोस्ट के अंत में लिखा है, 'समर्पण का अर्थ है शांति। एक भी जीवन और उनके सच्चे सपने ध्यान में नहीं आते। अगर आपको लगता है कि यह (अच्छा) है, तो मैं आपको याद दिला दूं कि यह मासूम लोग स्वतंत्र होने का अधिकार खो रहे हैं और वह भी इन नेताओं के अपने एजेंडे, राजनीति, पावर और लालच के लिए। और कुछ नहीं। तालिबान कहता है वह विकसित होने और महिलाओं और बच्चों को उनके अधिकार देने के लिए तैयार है। उन्हें अभी हीरो न बनने दें। उन्होंने कहा है कि उन्होंने अतीत से सीखा है, लेकिन यह तो केवल समय ही बताएगा। आज रात मैं अपने सभी अफगानी दोस्तों से बात करूंगी, आप मेरी प्रार्थनाओं में हैं। इंसानियत पहले है।'
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